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High Court: सास-ससुर के लिए खुशखबरी, अब बहू की मनमानी पर लगेगी रोक!

High Court: दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने अहम फैसले में बुजुर्ग माता-पिता के अधिकारों को लेकर बड़ा निर्णय सुनाया है। अब सास-ससुर अपनी बहू को घर से बाहर निकालने का कानूनी अधिकार रखते हैं, यदि वह उनके साथ दुर्व्यवहार करती है। पढ़ें पूरी डिटेल नीचे।
 
High Court: सास-ससुर के लिए खुशखबरी, अब बहू की मनमानी पर लगेगी रोक!
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Haryana update, High Court: दिल्ली हाईकोर्ट में एक महत्वपूर्ण मामला सामने आया, जिसमें जस्टिस योगेश खन्ना ने बहू की अपील पर सुनवाई की। निचली अदालत के फैसले के खिलाफ दायर अपील में कोर्ट ने साफ कर दिया कि संयुक्त परिवार में संपत्ति के मालिक के पास अधिकार होता है कि वह बहू को अपनी संपत्ति से बेदखल कर सकता है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि बहू को मनमानी करने का अधिकार नहीं है।

कोर्ट का फैसला  High Court
कोर्ट ने यह निर्णय सुनाया कि याचिकाकर्ता बहू को उसके विवाह के जारी रहने तक एक वैकल्पिक आवास उपलब्ध कराया जाए ताकि वह बिना किसी समस्या के जीवन यापन कर सके। इस फैसले से सास-ससुर को राहत मिलेगी, जो काफी उम्रदराज हैं और बहू-बेटे के बीच के कलह से परेशान थे।

सास-ससुर को राहत  High Court
इस मामले में बुजुर्ग सास-ससुर की उम्र 74 और 69 साल है। कोर्ट ने कहा कि जीवन के अंतिम पड़ाव पर उनके लिए तनावपूर्ण माहौल में रहना उचित नहीं है। इसलिए, बहू को वैकल्पिक आवास देकर अलग रहने का निर्देश दिया गया है, ताकि बुजुर्ग दंपत्ति शांति से जीवन बिता सकें।

घरेलू हिंसा कानून के तहत फैसला  High Court
कोर्ट ने यह फैसला घरेलू हिंसा कानून के तहत लिया। पति ने भी पत्नी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी और माता-पिता की संपत्ति पर कोई दावा पेश नहीं किया था। हाईकोर्ट ने बताया कि घरेलू हिंसा अधिनियम की धारा-19 के तहत संयुक्त घर में रहने का अधिकार केवल उन्हीं मामलों में लागू होता है, जहां बहू के खिलाफ कोई गंभीर आरोप न हो। लेकिन इस मामले में बुजुर्ग दंपत्ति की मानसिक शांति को ध्यान में रखते हुए बहू को अलग घर में रहने का निर्देश दिया गया।

हाईकोर्ट का निर्देश  High Court
हाईकोर्ट ने बहू को अलग रहने का आदेश दिया और याचिकाकर्ता की अपील खारिज कर दी। प्रतिवादी ससुर के हलफनामे को भी स्वीकार किया गया, जिसमें उन्होंने कहा था कि बहू को उसके विवाह के जारी रहने तक वैकल्पिक आवास मुहैया कराया जाएगा।

2016 में शुरू हुआ था मामला  High Court
प्रतिवादी ससुर ने 2016 में निचली अदालत में मुकदमा दायर किया था, जिसमें उन्होंने खुद को संपत्ति का पूर्ण मालिक बताया था। उन्होंने यह भी बताया कि उनका बेटा किसी अन्य स्थान पर रह रहा है और वह अपनी बहू के साथ नहीं रहना चाहते। अब हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद बुजुर्ग दंपत्ति को राहत मिलेगी, और बहू को अलग घर में रहने का आदेश दिया गया है।

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