Fitment Factor 3.68 या 3.0? जानिए कौन सा होगा लागू और आपकी सैलरी कितनी बढ़ेगी

फिटमेंट फैक्टर का महत्व
फिटमेंट फैक्टर की मदद से कर्मचारियों की मौजूदा बेसिक सैलरी में वृद्धि की जाती है ताकि महंगाई और बढ़ते खर्चों को ध्यान में रखा जा सके। उदाहरण के तौर पर, अगर किसी कर्मचारी की वर्तमान न्यूनतम मासिक सैलरी 18,000 रुपये है, और अगर 8वें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर 2.57 लागू होता है, तो उसकी सैलरी लगभग 46,260 रुपये हो जाएगी। इसी तरह, न्यूनतम पेंशन भी 9,000 रुपये से बढ़कर लगभग 23,130 रुपये तक हो सकती है।
कर्मचारियों की मांग
जनवरी में केंद्र सरकार ने 8वें वेतन आयोग के गठन का ऐलान कर दिया है। अब कई कर्मचारी संगठनों ने मांग उठाई है कि महंगाई को देखते हुए फिटमेंट फैक्टर को 2.57 या उससे भी अधिक, यानी 2.86 तक तय किया जाए। JCM-NC के स्टाफ साइड के सचिव शिव गोपाल मिश्रा का मानना है कि पुराने मानक अब प्रासंगिक नहीं रहे हैं। महंगाई और रोजमर्रा के बढ़ते खर्चों को देखते हुए नए और आधुनिक मानकों के अनुसार फिटमेंट फैक्टर बढ़ाना जरूरी है, ताकि कर्मचारी आर्थिक रूप से मजबूत रह सकें।
संभावित बदलाव और चुनौतियाँ
हालांकि, कुछ पूर्व वित्त सचिव ने इस बदलाव को चुनौतीपूर्ण बताया है और संभावना जताई है कि इस बार 8वें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर 1.92 तक ही लागू हो सकता है। इससे कर्मचारियों की सैलरी में अपेक्षाकृत कम वृद्धि होगी।
- अगर 2.57 का फिटमेंट फैक्टर लागू होता है, तो बेसिक सैलरी में लगभग 157% तक की बढ़ोतरी संभव है।
- दूसरी ओर, अगर सरकार 2.86 जैसा उच्च मानक अपनाती है, तो यह महंगाई के दबाव को ध्यान में रखते हुए कर्मचारियों के लिए और अधिक लाभकारी साबित हो सकता है।
- 7वें वेतन आयोग में: फिटमेंट फैक्टर 2.57 था, जिसके बाद न्यूनतम सैलरी 7,000 रुपये से बढ़कर 18,000 रुपये हो गई थी।
- 8वें वेतन आयोग में: कर्मचारियों की मांग है कि फिटमेंट फैक्टर 2.57 या उससे अधिक (2.86 तक) रखा जाए, जिससे मौजूदा 18,000 रुपये की सैलरी बढ़कर लगभग 46,260 रुपये हो सके।
- चुनौतीपूर्ण पक्ष: कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि वर्तमान परिस्थितियों में उच्च फिटमेंट फैक्टर अपनाना मुश्किल हो सकता है और संभवतः 1.92 तक ही सीमित रखा जा सकता है।
इस अपडेट के आने के बाद केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को उनकी सैलरी में बड़े पैमाने पर सुधार देखने को मिलेगा। नए मानकों के अनुसार फिटमेंट फैक्टर तय होने से महंगाई के दौर में राहत मिलेगी और कर्मचारी आर्थिक रूप से और मजबूत हो सकेंगे।