ग्रेच्युटी नियमों में बड़ा बदलाव: रिटायरमेंट के बाद अब मिलेगा और ज़्यादा पैसा, जानें कैसे
क्या है ग्रेच्युटी?
ग्रेच्युटी एक सम्मान राशि होती है, जो कर्मचारियों को उनके सेवाकाल की समाप्ति पर दी जाती है। यह राशि कर्मचारी की ग्रास सैलरी का हिस्सा होती है और उनके लंबे समय तक सेवा देने के लिए एक वित्तीय सुरक्षा के रूप में प्रदान की जाती है। सामान्यत: यह राशि तभी दी जाती है जब कर्मचारी ने कम से कम 5 साल तक सेवा दी हो। हालांकि, यदि किसी कर्मचारी की मृत्यु या विकलांगता हो जाती है, तो इस नियम का पालन नहीं होता।
ग्रेच्युटी की गणना कैसे होती है?
ग्रेच्युटी का कैलकुलेशन एक निश्चित फॉर्मूले के आधार पर किया जाता है, जो इस प्रकार है:
- ग्रेच्युटी = (आखिरी ड्रॉ सैलरी × सेवा के कुल वर्ष × 15)/26 यहां, आखिरी ड्रॉ सैलरी में बेसिक सैलरी और महंगाई भत्ता दोनों शामिल होते हैं। यह फॉर्मूला उन कर्मचारियों पर लागू होता है जिन्होंने कम से कम 5 साल तक लगातार सेवा की हो।
ग्रेच्युटी कैलकुलेशन में बदलाव की मांग
हाल ही में एक प्री-बजट मीटिंग में ट्रेड यूनियनों ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से ग्रेच्युटी कैलकुलेशन के नियमों को संशोधित करने की अपील की है। उनका सुझाव था कि मौजूदा फॉर्मूले में “15 दिनों की सैलरी” की जगह “एक महीने की सैलरी” को आधार बनाया जाए। यदि यह बदलाव लागू होता है, तो रिटायरमेंट पर कर्मचारियों को अधिक धनराशि प्राप्त हो सकती है।
महत्वपूर्ण बदलाव और लाभ
यह वृद्धि केंद्रीय कर्मचारियों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, क्योंकि अब उन्हें रिटायरमेंट के बाद अधिक ग्रेच्युटी मिलेगी, जो उनकी वित्तीय सुरक्षा को और मजबूत करेगी। साथ ही, यह टैक्स-फ्री राशि होगी, जिससे कर्मचारियों को अधिक लाभ मिलेगा।