Haryana: हरियाणा में जमीनी विवादों को लेकर नए नियम लागू, अब नहीं होंगे कोर्ट-कचहरी के झंझट!

कानूनी बदलाव से होगा जमीन का बंटवारा
सरकार ने ‘पंजाब भू-राजस्व अधिनियम 2020’ में बदलाव किया था और धारा 111-क जोड़ी थी, जिसके तहत संयुक्त जमीन के हिस्सेदारों के बीच बंटवारा हो सकता था। हालांकि, पहले खून के रिश्तों में यह व्यवस्था लागू नहीं थी, जिससे विवाद बढ़ते गए। अब, इस संशोधन के बाद भाई-भाई, पिता-बेटा जैसे रिश्तेदार भी अपनी सहमति से जमीन का बंटवारा कर सकेंगे।
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‘हरियाणा भू राजस्व विधेयक 2025’ पेश होगा विधानसभा में
हरियाणा सरकार अब ‘हरियाणा भू राजस्व विधेयक 2025’ को विधानसभा के बजट सत्र में पेश करने जा रही है। राजस्व और आपदा प्रबंधन मंत्री विपुल गोयल इस विधेयक को सदन में पेश करेंगे। विधेयक पास होने के बाद राज्य में भूमि विवादों को सुलझाने में आसानी होगी और कोर्ट में चल रहे कई मामलों में कमी आएगी।
कानूनी प्रक्रिया में कुछ सीमाएं
हालांकि, इस संशोधन के तहत पति-पत्नी के बीच जमीन का बंटवारा नहीं किया जा सकेगा। सरकार का मानना है कि पति-पत्नी के रिश्ते को परिवारिक या अन्य कानूनी उपायों से सुलझाना चाहिए। इस नए नियम का असर सिर्फ खून के रिश्तों पर होगा, जैसे भाई-भाई, पिता-बेटा, चाचा-भतीजा आदि।
राजस्व अधिकारियों को मिलेगा अधिक अधिकार
संशोधित कानून में राजस्व अधिकारियों की भूमिका को मजबूत किया गया है। अब यह अधिकारी यह सुनिश्चित करेंगे कि क्या सभी सह-मालिकों को बंटवारे के लिए सहमति है या नहीं। इसके बाद वे बंटवारे की प्रक्रिया को कानूनी रूप से पूरा कराएंगे। पहले संयुक्त भूमि के बंटवारे में अक्सर समस्याएं आती थीं, जिसके कारण कई बार लोग अपनी भूमि बेचने में भी असमर्थ रहते थे। अब इस समस्या को हल करने की उम्मीद है।
अदालतों में लंबित मामलों को मिलेगा समाधान
हरियाणा में वर्तमान में हजारों भूमि विवाद अदालतों में लंबित हैं, जिनमें से अधिकांश विवाद संयुक्त जमीन के बंटवारे को लेकर होते हैं। अब इस संशोधन के बाद इन विवादों को आसानी से सुलझाया जा सकेगा और परिवारों को अदालतों के चक्कर काटने की आवश्यकता नहीं होगी।
किसानों को मिलेगी राहत
इस संशोधन से खेती करने वाले किसानों को भी काफी राहत मिलेगी। पहले संयुक्त जमीन का बंटवारा न हो पाने के कारण किसान अपनी जमीन का बेहतर उपयोग नहीं कर पाते थे। अब वे अपनी हिस्सेदारी की भूमि का सही तरीके से उपयोग कर सकेंगे, उसे बेचने, गिरवी रखने या खेती में इस्तेमाल करने में कोई रुकावट नहीं होगी। इससे किसानों को उनके निर्णय लेने में स्वतंत्रता मिलेगी और वे अपनी भूमि का बेहतर उपयोग कर सकेंगे।
युवा किसानों को भी मिलेगा लाभ
हाल के वर्षों में युवा किसानों में अपनी हिस्सेदारी की जमीन अलग कराने की मांग बढ़ी थी। वे अपनी जमीन पर खुद खेती करना या उसे अपनी मर्जी से बेचना चाहते थे, लेकिन पुराने कानूनों के कारण उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ता था। अब इस नए संशोधन के बाद युवाओं को भी राहत मिलेगी, और वे अपनी हिस्सेदारी की जमीन का स्वतंत्र रूप से उपयोग कर सकेंगे।