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Haryana News : हरियाणा के ये 5 शहर बदलेंगे जिले में, देखिये नाम

Haryana News : हरियाणा सरकार ने नए जिले बनाने को लेकर बड़ा फैसला लिया है अब राज्य में नया जिला, तहसील या उपमंडल बनाने के लिए जिला उपायुक्त की सिफारिश के साथ-साथ ब्लॉक समिति, नगर निकाय और विधायक की मंजूरी भी जरूरी होगी यानी इन सभी की सहमति के बिना नया प्रशासनिक ढांचा नहीं बनेगा नीचे पढ़ें पूरी डिटेल।
 
Haryana News : हरियाणा के ये 5 शहर बदलेंगे जिले में, देखिये नाम 
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Haryana Update : 1 अप्रैल 2004 को केंद्र सरकार और विभिन्न राज्य सरकारों ने नई पेंशन योजना (NPS) लागू करते हुए पुरानी पेंशन योजना (OPS Scheme) को बंद कर दिया था। तब से ही देशभर में सरकारी कर्मचारी संगठनों द्वारा लगातार OPS की बहाली की मांग उठती रही है। कर्मचारियों का कहना है कि नई पेंशन योजना में उन्हें न तो पर्याप्त सुरक्षा मिलती है और न ही बुढ़ापे के लिए भरोसेमंद व्यवस्था दिखती है।

राज्य कर्मचारी संगठन की कोशिशें जारी

राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष जे.एन. तिवारी ने प्रधानमंत्री को कई बार ज्ञापन भेजकर OPS को बहाल करने की मांग रखी है। उनका कहना है कि कर्मचारियों को नई और पुरानी दोनों योजनाओं में से एक चुनने का विकल्प मिलना चाहिए ताकि वे अपने भविष्य को सुरक्षित कर सकें।

कुछ राज्यों ने दी मंजूरी, लेकिन तकनीकी समस्याएं भी बड़ी चुनौती

देश के कुछ राज्यों ने कर्मचारियों के विरोध को देखते हुए OPS को फिर से लागू किया है, लेकिन इस फैसले के साथ कई तकनीकी समस्याएं भी सामने आई हैं। सबसे बड़ी चुनौती यह है कि नई पेंशन योजना के अंतर्गत जो राशि कर्मचारियों से कट चुकी है, उसका हिसाब-किताब और ट्रांजिशन अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है। केंद्र सरकार ने 2009 तक कुछ शर्तों के साथ विकल्प दिया था, लेकिन यह सभी पर लागू नहीं होता था।

योगी सरकार ने दिखाया समर्थन, केंद्र ने बनाई समिति

26 अगस्त को जे.एन. तिवारी ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात कर OPS बहाली पर चर्चा की। मुख्यमंत्री ने भरोसा दिलाया कि केंद्र सरकार इस मुद्दे पर गंभीर है और एक समिति गठित की गई है। रिपोर्ट में भी OPS के पक्ष में बातें कही गई हैं, लेकिन अंतिम फैसला अभी लंबित है।

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राजनीतिक और सामाजिक असर

पुरानी पेंशन योजना की बहाली सिर्फ कर्मचारियों की मांग नहीं, बल्कि यह चुनावी मुद्दा भी बन चुका है। अगर सरकार समय रहते समाधान नहीं निकालती तो आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनावों में इसका असर देखने को मिल सकता है। कर्मचारी संगठनों ने चेतावनी दी है कि जब तक उनकी मांगें नहीं मानी जातीं, आंदोलन जारी रहेगा।