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Increasing Disease From Rats: वाराणसी में 10 से अधिक बच्चे कोरोना से भी खतरनाक लेप्टोस्पायरोसिस से हुए पीड़ित, अलर्ट किया जारी

Increasing Disease From Rats: अब तक पांच बच्चे लेप्टोस्पायरोसिस से पीड़ित हैं, नवजात शिशु संघ के प्रदेश अध्यक्ष और बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. अशोक राय ने बताया। चूहे के मूत्र से यह बीमारी बच्चों में फैलती है।
 
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Increasing Disease From Rats : यह डेंगू की तरह बुखार देगा। शरीर के सभी अंग इससे प्रभावित होते हैं। पहले आम बुखार आता है। चेतगंज की बालिका को तेज बुखार से निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। डॉक्टरों ने जांच की, लेकिन बीमारी नहीं पाई गई। बाद में सी रिएक्टिव प्रोटीन (CRP) की जांच की गई। सीआरपी अधिक होने पर डॉक्टर चिंतित दिखे। डर से लेप्टोस्पायरोसिस की जांच कराई गई, और रिपोर्ट पॉजिटिव निकली। CMo डॉ. संदीप चौधरी ने बताया कि लेप्टोस्पायरोसिस का पता चला है। बाल चिकित्सकों को अलर्ट किया गया है। 2013 में पहले मामले सामने आए थे। मंडलीय अस्पताल में बालरोग विशेषज्ञ डॉ. सीपी गुप्ता ने बताया कि ओपीडी में मरीज आ रहे हैं।

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बुखार तीन चार दिन से अधिक होने पर हल्के में नहीं लेना चाहिए

डॉ. आलोक भारद्वाज, भारतीय बाल अकादमी के अध्यक्ष, कहते हैं कि अगर बुखार तीन-चार दिन से अधिक रहता है तो इसे हल्के में नहीं लें। CRP जांच कराइए। अगर अधिक सीआरपी आए तो बैक्टीरियल बुखार है। इसके बाद लेप्टोस्पायरोसिस की जांच करनी होगी। इसके लक्षण डेंगू जैसे हैं। इसमें प्लेटलेट्स जल्दी नहीं गिरते। 30 से 40 हजार तक पहुंचने पर पुनर्गठन होता है।

चूहे के मूत्र से फैलने वाली बीमारी

अब तक पांच बच्चे लेप्टोस्पायरोसिस से पीड़ित हैं, नवजात शिशु संघ के प्रदेश अध्यक्ष और बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. अशोक राय ने बताया। चूहे के मूत्र से यह बीमारी बच्चों में फैलती है। यह डेंगू की तरह बुखार देगा। शरीर के सभी अंग इससे प्रभावित होते हैं। पहले आम बुखार आता है। पांच से छह दिन बाद रिपोर्ट मिलती है। यदि सही इलाज नहीं मिलता तो बुखार दस से पंद्रह दिन रहता है। इससे कभी पीलिया तो कभी दिल का दौरा हो सकता है।

कोरोना से अधिक खतरनाक बैक्टीरिया हैं।

बीएचयू के जीवविज्ञानी प्रो. ज्ञानेश्वर चौबे ने कहा कि लेप्टोस्पायरोसिस बैक्टीरिया कोरोना वायरस से भी खतरनाक है। कोरोना से पीड़ित लोगों की मृत्यु दर एक से डेढ़ प्रतिशत है, जबकि लेप्टोस्पायरोसिस की दर तीन से दस प्रतिशत है। चूहे इस बीमारी का वाहक हैं। चूहे ने कहीं पेशाब किया है और आपकी स्किन कटी है, इसलिए आपको लेप्टोस्पायरोसिस हो सकता है। पानी में यह बैक्टीरिया छह महीने तक जीवित रह सकता है। जुलाई से अक्तूबर तक बैक्टीरियल इंफेक्शन अधिक होते हैं।

1980 में चेन्नई में बैक्टीरिया पहली बार पाया गया था

प्रो.चौबे ने बताया कि चेन्नई में 1980 में इस बैक्टीरिया को पहचाना गया था। 2004 में उत्तर प्रदेश में पहला मरीज मिला था। 43 साल में बैक्टीरिया का रूप बदल गया है। पहले यह ४० से ४५ वर्ष की आयु वर्ग को प्रभावित करता था। वर्तमान संक्रमण में बच्चे सबसे अधिक प्रभावित हैं।

लेप्टोस्पायरोसिस की बीमारी के लक्षण

बुखार, शरीर, पीठ और पैरों में तेज दर्द, आंख में लाली, पेट में दर्द, खांसी, खांसी के साथ खून आना, सर्दी के साथ बुखार और शरीर में लाल चकत्ते। बुखार 104 डिग्री तक जा सकता है।

लेप्टोस्पायरोसिस से बचने के लिए इन सावधानियों का पालन करें 

- जानवरों के पास नहाने से बचें

- घर में चूहे हैं तो सावधान रहें

- बाहर से लाए गए प्लास्टिक के पैकेट को धोकर इस्तेमाल करें।

- गर्मियों में स्विमिंग, वाटर स्कीइंग और सेलिंग से बचें

- घर में पालतू जानवरों की स्वच्छता पर भी ध्यान दें