आलीशान मकान वाले BPL कार्ड का गलत फायदा उठा रहे! हरियाणा सरकार ने की सख्त कार्रवाई
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Haryana update : "गरीबी हटाओ!" का नारा तो है, लेकिन जब महल जैसे घरों में रहने वाले लोग भी हरियाणा के बीपीएल (Below Poverty Line) सूची में अपनी जगह बना रहे हों, तो इसका क्या मतलब? दरअसल, सरकार की परिवार पहचान पत्र (PPP) स्कीम का उद्देश्य जरूरतमंदों की मदद करना था, लेकिन यह योजना अब एक हैक (Hack) बन चुकी है, जहां आलीशान घरों में रहने वाले, महंगी गाड़ियां चलाने वाले और ब्रांडेड कपड़े पहनने वाले लोग भी सरकारी रियायतों का फायदा उठा रहे हैं।
वेरिफिकेशन में चौंकाने वाले खुलासे
सरकार ने हाल ही में पीपीपी कार्ड के वेरिफिकेशन की प्रक्रिया शुरू की, और जो तथ्य सामने आए, वो चौंकाने वाले थे। प्रारंभिक जांच में यह पाया गया कि कई बीपीएल कार्ड धारकों के पास दो से तीन मंजिला घर हैं, महंगे पालतू जानवर और एसी से सुसज्जित सेटअप है। इसके बावजूद इन लोगों ने अपनी वार्षिक आय 1.80 लाख से कम दिखाकर बीपीएल का लाभ उठा लिया। नतीजतन, असली गरीबों के हिस्से का राशन इन लोगों के पास पहुंच रहा है।
सरकार का सख्त एक्शन
सरकार ने इस पर सख्त एक्शन लेने का निर्णय लिया है। वेरिफिकेशन के दौरान जो लोग गलत पाए जाएंगे, उनके बीपीएल कार्ड तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिए जाएंगे। कई मामलों में वसूली (Recovery) की प्रक्रिया भी शुरू की जाएगी। जिला फूड सप्लाई कंट्रोलर (DFSC) और जिला समाज कल्याण विभाग (DSW) इस प्रक्रिया की लगातार निगरानी कर रहे हैं। अगर कोई बड़े घर वाला बीपीएल कार्ड का फायदा उठा रहा है, तो उसकी पूरी जांच की जाएगी।
वेरिफिकेशन की एरिया-वाइज जांच
सरकार ने विभिन्न इलाकों में वेरिफिकेशन प्रक्रिया शुरू की है, जिसमें हर दिन 5 से 7 बीपीएल धारकों की कड़ी जांच की जा रही है। वेरिफिकेशन टीम यह सुनिश्चित कर रही है कि क्या वाकई इन व्यक्तियों को बीपीएल का लाभ मिलना चाहिए या उन्होंने सिर्फ कागजों में हेरफेर किया है।
वेरिफिकेशन टीम की परेशानी
जैसे ही वेरिफिकेशन टीम किसी बीपीएल कार्ड धारक के घर पहुंचती है, वहां कई बार जवाबों में गड़बड़ी और कन्फ्यूजन का सामना करना पड़ता है। कई लोग गोलमोल जवाब देकर टीम को भ्रमित करने की कोशिश करते हैं। कुछ लोग तो यह कहते हैं कि "हमने तो फॉर्म भरा ही नहीं था!" ऐसे बयानों से टीम को जांच में मुश्किलें आ रही हैं।
स्मार्ट तकनीक से सच का पता
सच उगलवाने के लिए अब वेरिफिकेशन टीम स्मार्ट तकनीक का इस्तेमाल कर रही है। वे घर के आसपास के लोगों से पूछताछ कर रहे हैं और सोशल मीडिया प्रोफाइल्स की जांच भी कर रहे हैं, ताकि यह पता चल सके कि क्या ये "गरीब" लोग महंगी छुट्टियों का आनंद तो नहीं ले रहे हैं।
डिपो मालिक भी खिलाड़ी
गांवों और शहरों में राशन डिपो ही वह स्थान हैं जहां असली जानकारी मिल सकती है। डिपो संचालकों को यह पता होता है कि कौन असल में गरीब है और कौन स्कीम का लाभ उठा रहा है। लेकिन कुछ डिपो मालिक खुद ही इन लाभों को मैनेज कर रहे हैं, जिससे सत्यता में और अधिक गड़बड़ी हो रही है।
असल गरीबों को न्याय का इंतजार
यह योजना असल में गरीबों के लिए बनाई गई थी, लेकिन अब गलत तरीके से इस योजना का लाभ उठाने वाले रईसों के कारण, असली गरीब वंचित रह गए हैं। झूठी आय दिखाकर इन लोगों ने सरकारी योजनाओं का फायदा उठा लिया, और असली जरूरतमंदों को इसके लाभ से वंचित कर दिया गया। अब गरीबों को यह भी नहीं पता कि उनके नाम पर सरकार क्या सुविधाएं दे रही है, जो कहीं और ही पहुंच रही हैं।