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Property Rights : ससुर की जायदाद में बहू को मिलेगा हिस्सा या नहीं? जानें पूरा कानून!

Property Rights : भारतीय कानून में संपत्ति के अधिकार को लेकर कई अहम प्रावधान हैं। बहू को ससुर की संपत्ति में अधिकार मिलेगा या नहीं, यह इस बात पर निर्भर करता है कि संपत्ति पैतृक है या स्व-अर्जित। कोर्ट के कई फैसलों ने इस मामले में स्पष्ट दिशा-निर्देश दिए हैं। नीचे पढ़ें पूरी डिटेल।
 
 
Property Rights : ससुर की जायदाद में बहू को मिलेगा हिस्सा या नहीं? जानें पूरा कानून!
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Haryana update, Property Rights : प्रॉपर्टी से जुड़े कानूनों को लेकर अक्सर लोगों के मन में कई सवाल उठते हैं, खासकर जब बात पिता या ससुर की संपत्ति की होती है। अक्सर लोग पूछते हैं कि किसे प्रॉपर्टी का दावा करने का पूरा हक है और कौन-कौन इसके हकदार हो सकते हैं। बदलते दौर के साथ नियम और कानून भी अपडेट होते रहते हैं, लेकिन जानकारी की कमी के कारण संपत्ति के बंटवारे में अक्सर विवाद भी हो जाते हैं।

व्यक्तिगत संपत्ति पर अधिकार  Property Rights

कानून के अनुसार, जिस व्यक्ति से महिला की शादी हुई है, अगर उसके पास खुद से अर्जित की गई कोई संपत्ति है – चाहे वह जमीन, मकान, पैसे या गहने हों – तो उस संपत्ति पर पूरी तरह से उसी व्यक्ति का अधिकार होता है। वह अपनी अर्जित संपत्ति को बेच सकता है, गिरवी रख सकता है, वसीयत लिख सकता है या दान भी कर सकता है। इस प्रकार, स्वयं अर्जित संपत्ति पर कानूनी अधिकार पूरी तरह से सुरक्षित रहते हैं।

ससुराल की संपत्ति पर बहू का अधिकार  Property Rights

जब बात ससुराल की संपत्ति की होती है तो सामान्य परिस्थितियों में महिला का कोई कानूनी दावा नहीं होता। चाहे ससुराल में रहने के दौरान या उनके देहांत के बाद, बहू को आम तौर पर ससुर या पति की संपत्ति पर कोई अधिकार नहीं मिलता है।

  • जीवित रहते हुए:
    जब तक ससुराल के सदस्य जीवित हैं, बहू का इनकी संपत्ति पर कोई दावा नहीं होता।
  • मृत्यु के बाद:
    यदि ससुराल के सदस्य की मृत्यु हो जाती है, तो आम तौर पर संपत्ति का अधिकार पति को मिलता है। तभी, यदि पति के बाद भी ससुराल के सदस्यों की मृत्यु हो जाती है, तो बहू को कुछ परिस्थितियों में अधिकार मिल सकता है। लेकिन यह तभी संभव है जब ससुराल ने संपत्ति संबंधी वसीयत में कोई अन्य व्यवस्था नहीं की हो।

इसके लिए यह जरूरी है कि ससुराल ने अपनी संपत्ति को लेकर वसीयत नहीं बनाई हो। यदि वसीयत बनाई गई है, तो उसके अनुसार संपत्ति का बंटवारा होगा। साथ ही, बेटा भी माता-पिता के घर में तभी तक रह सकता है जब तक कि माता-पिता की अनुमति हो, क्योंकि वह कानूनी अधिकार से उस घर में रहने का दावा नहीं कर सकता, जब तक कि वह स्वयं उस संपत्ति में मालिकाना हक नहीं रखता।

  • व्यक्तिगत संपत्ति:
    अपनी अर्जित संपत्ति पर पूरा अधिकार केवल उसी व्यक्ति का होता है जिसने उसे अर्जित किया है।

  • ससुराल की संपत्ति:
    सामान्य परिस्थितियों में बहू को ससुराल की संपत्ति पर कोई स्वाभाविक अधिकार नहीं मिलता, चाहे वे जीवित हों या मर चुके हों।

    • जीवित रहने पर: महिला का दावा नहीं।
    • मृत्यु के बाद: संपत्ति का अधिकार सबसे पहले पति को मिलता है; उसके बाद, यदि कोई कानूनी व्यवस्था नहीं की गई हो तो बहू को अधिकार नहीं मिलता।

इस प्रकार, संपत्ति संबंधी विवादों से बचने के लिए वसीयत और कानूनी दस्तावेजों की सही जानकारी रखना बेहद जरूरी है। सही जानकारी और कानूनी प्रावधानों के अनुसार ही संपत्ति का बंटवारा किया जाना चाहिए, ताकि भविष्य में किसी भी प्रकार के विवाद से बचा जा सके

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