भारतीय सेना में क्या है समलैंगिकता को लेकर कानून,जवानों के हत्यारे ने लगाया यौन शोषण का आरोप?
भारत की तरह, विदेशी सेना में एलजीबीटीक्यू कम्युनिटी के अधिकारों की मान्यता के लिए चल रही लड़ाई का लंबा इतिहास रहा है. जानिए, भारतीय सेना में क्या है समलैंगिकता से जुड़े नियम.

पंजाब के बठिंडा मिलिट्री स्टेशन में 4 जवानों की हत्या करने के मामले में एक जवान की गिरफ्तारी हुई
. मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि जिन जवानों की हत्या हुई वो उसका यौन शोषण करते थे. उनकी हरकतों से तंगकर उसने हत्या कर दी.
हालांकि पंजाब पुलिस और सेना का कहना है कि निजी दुश्मनी की वजह से उसने आरोपियों पर गोली चलाई. इस मामले में जांच जारी है.
ऐसे में सवाल है कि क्या होमोसेक्शुएलिटी सेना में लीगल है, इसका लेकर क्या कानून हैं और दुनिया के दूसरे में देशों में क्या स्थिति है.
क्या होमोसेक्शुएलिटी सेना में लीगल है?
सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में धारा 377 को रद करते हुए समलैंगिकता को अपराध के दायरे से बाहर कर दिया. कोर्ट ने कहा, देश में अगर दो वयस्क समलैंगिक सम्बंध बनाते हैं तो इसे अपराध नहीं माना जाएगा. लेकिन समलैंगिकता को भारतीय सशस्त्र बलों में अभी भी अपराध माना जाता है.
also read this news OnePlus TV 40 Y1S नया स्मार्ट टीवी लॉन्च, 11 हजार रुपये तक का मिल रहा बंपर डिस्काउंट
सेना में समलैंगिकता लीगल है या नहीं, इसको लेकर 2019 में तत्कालीन आर्मी चीफ बिपिन राव ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस ने बयान दिया था. उनका कहना था कि सेना में LGBT मामले बिल्कुल भी स्वीकार्य नहीं हैं. उनकी उस टिप्पणी से एक विवाद भी पैदा हुआ था, जिसमें उन्होंने कहा था कि जब समलैंगिकता की बात आती है तो भारतीय सेना न तो आधुनिक है और ही उसका पश्चिमीकरण हुआ है, लेकिन रूढ़िवादी जरूर है. उन्होंने कहा था, आर्मी एक्ट की जुड़ी धाराओं के जरिए समलैंगिक यौन अपराधियों से निपटा जाएगा.
पिछले साल रक्षा मंत्रालय ने राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता ओनिर द्वारा निर्देशित एक फिल्म को खारिज कर दिया था, जो भारतीय सेना के एक पूर्व अधिकारी की वास्तविक जीवन की कहानी से प्रेरित थी और वो खुलेतौर पर समलैंगिक के रूप में सामने आया था. हालांकि, फिल्म निर्माता ने सोशल मीडिया पर कहा था कि मंत्रालय ने उनकी स्क्रिप्ट को इसलिए रिजेक्ट किया था कि क्योंकि सेना को गलत दिखाया गया था.
समलैंगिकता को अपराध के दायरे से बाहर किए जाने के बाद भी भारतीय सेना के तीनों ही हिस्से में यह लागू नहीं है. आर्मी एक्ट 1950 के सेक्शन 45 के तहत कोई भी अधिकारी ऐसा काम करता है जो अशोभनीय हो और उसके चरित्र को उपेक्षित करता है तो उसे सेवा से वापस बुलाया जा सकता है.
also read this news TVS Ronin New Variant के धांसू लुक ने Bullet तक को चटाई धूल, बेहद तूफानी फीचर्स और दमदार इंजन
धारा 46 (ए) किसी भी व्यक्ति को “क्रूर, अशोभनीय या अप्राकृतिक प्रकार” के अपमानजनक आचरण के लिए दोषी ठहराती है, जिसे कोर्ट-मार्शल द्वारा दोषी ठहराए जाने पर सात साल तक की जेल का सामना करना पड़ेगा. वहीं, धारा 63 “अच्छे आदेश और सैन्य अनुशासन के प्रतिकूल” मानी जाने वाली कार्रवाइयों से जुड़ी है.
इन कानूनी प्रावधानों का इस्तेमाल सेना में समलैंगिक यौन संबंधों के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए किया जा सकता है.
भारत की तरह, विदेशी सेना में एलजीबीटीक्यू कम्युनिटी के अधिकारों की मान्यता के लिए चल रही लड़ाई का लंबा इतिहास रहा है. संयुक्त राज्य अमेरिका ने 2011 तक “मत पूछो मत बताओ” नीति का पालन किया. तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा ने खुले तौर पर समलैंगिक होने की पहचान बताने वाले कर्मचारियों पर रोक लगाने के लिए कानून पर दस्तखत किए.