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Supreme Court : माता-पिता की उपेक्षा करने वाले संतानों को गंवानी होगी संपत्ति

Supreme Court : सुप्रीम कोर्ट ने संपत्ति से जुड़े एक महत्वपूर्ण मामले में फैसला सुनाया है, जिससे संतानों के अधिकारों पर बड़ा असर पड़ सकता है। आमतौर पर माना जाता है कि माता-पिता की संपत्ति उनके बच्चों को ही मिलेगी, लेकिन यह जरूरी नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि कुछ परिस्थितियों में संतान संपत्ति के अधिकार से वंचित हो सकती है। नीचे पढ़ें पूरी डिटेल
 
Supreme Court : माता-पिता की उपेक्षा करने वाले संतानों को गंवानी होगी संपत्ति
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Haryana update, Supreme Court : सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए हर माता-पिता की चिंता को दूर कर दिया है। बुजुर्ग माता-पिता अक्सर इस डर में जीते हैं कि कहीं उनके बच्चे उन्हें अकेला न छोड़ दें। अब सुप्रीम कोर्ट के नए फैसले ने इस मामले को स्पष्ट कर दिया है और माता-पिता के अधिकारों को मजबूत किया है।

माता-पिता की उपेक्षा की तो खोनी पड़ेगी संपत्ति  Supreme Court

सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के मुताबिक, जो बच्चे अपने माता-पिता से संपत्ति हासिल करने के बाद उनकी देखभाल नहीं करते, उन्हें उस संपत्ति से हाथ धोना पड़ेगा। ऐसे मामलों में संपत्ति का हस्तांतरण रद्द किया जा सकता है और माता-पिता उसे वापस ले सकते हैं।

गिफ्ट या प्रॉपर्टी लौटानी होगी  Supreme Court

अगर संतान अपने बुजुर्ग माता-पिता की देखभा  ल नहीं करती है, तो उसे दी गई गिफ्ट या संपत्ति वापस करनी होगी। गिफ्ट या प्रॉपर्टी को ठुकराने का मतलब होगा कि संतान को भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। अदालत का यह फैसला वरिष्ठ नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।

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भरण-पोषण की जिम्मेदारी से बचना होगा मुश्किल  Supreme Court

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से यह स्पष्ट हो गया है कि बुजुर्ग माता-पिता का भरण-पोषण करना बच्चों की जिम्मेदारी होगी। यदि कोई संतान अपने माता-पिता को अकेला छोड़ देती है, तो उसे गंभीर कानूनी परिणामों का सामना करना पड़ेगा।

वरिष्ठ नागरिक कानून के तहत अधिकार  Supreme Court

सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया है कि यदि कोई संतान माता-पिता की देखभाल नहीं करती है, तो माता-पिता वरिष्ठ नागरिकों के भरण-पोषण और कल्याण अधिनियम (Welfare of the Parents and Senior Citizens Act) के तहत अपनी दी हुई संपत्ति को वापस लेने का अधिकार रखते हैं।

बुजुर्गों की सुरक्षा के लिए लिया गया फैसला  Supreme Court

सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला बुजुर्ग माता-पिता की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए लिया है। अक्सर माता-पिता अपनी पूरी संपत्ति बच्चों के नाम कर देते हैं, लेकिन बाद में बच्चे उन्हें अनदेखा करने लगते हैं। इस फैसले के जरिए अब माता-पिता को यह अधिकार मिलेगा कि वे अपनी उपेक्षा करने वाली संतान से अपनी संपत्ति वापस ले सकें।

संपत्ति का हस्तांतरण होगा रद्द  Supreme Court

अब यदि कोई माता-पिता अपने बच्चों को संपत्ति हस्तांतरित करते हैं, तो उसमें एक शर्त जोड़ी जाएगी कि बच्चों को उनकी देखभाल करनी होगी। यदि बच्चे इस शर्त को पूरा नहीं करते, तो माता-पिता संपत्ति वापस लेने का अधिकार रखेंगे और संपत्ति का हस्तांतरण शून्य माना जाएगा।

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हाईकोर्ट का फैसला बदला गया  Supreme Court

सुप्रीम कोर्ट ने मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के फैसले को पलट दिया है। जस्टिस सीटी रविकुमार और जस्टिस संजय करोल की पीठ ने स्पष्ट किया कि यदि कोई वरिष्ठ नागरिक अपनी संपत्ति इस शर्त पर ट्रांसफर करता है कि उनकी देखभाल होगी, और संतान ऐसा नहीं करती, तो इसे धोखाधड़ी माना जाएगा।

ट्रिब्युनल दे सकता है आदेश  Supreme Court

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि इस प्रकार के मामलों में ट्रिब्युनल बुजुर्ग माता-पिता को संपत्ति वापस लौटाने और संतानों को बेदखल करने का आदेश दे सकता है। मध्यप्रदेश की एक बुजुर्ग महिला उर्मिला दीक्षित ने अपने बेटे सुनील शरण दीक्षित को इस शर्त पर संपत्ति दी थी कि वह उनकी देखभाल करेगा, लेकिन जब बेटे ने उपेक्षा की, तो ट्रिब्युनल ने गिफ्ट डीड को रद्द कर दिया। हालांकि, हाईकोर्ट ने इस फैसले को पलट दिया था, जिसे अब सुप्रीम कोर्ट ने फिर से सही ठहराया है।

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