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भारत में इस रेलवे स्टेशन का नहीं है कोई नाम, जानिए कैसे कटती है टिकट ?

भारत में कैसा भी रेलवे स्टेशन है जहां जहां का कोई भी नाम नहीं है लेकिन फिर लोग यहां पर आने के लिए किसका नाम लेकर टिकट खरीदते हैं अगर आपको भी यह बात जाननी है तो इस खबर में बने रहिए
 
भारत में इस रेलवे स्टेशन का नहीं है कोई नाम, जानिए कैसे कटती है टिकट ?

Haryana Update : भारतीय Railway को देश की लाइफलाइन कहा जाता है. देश के 7500 से ज्यादा Station से हर दिन करोड़ों लोग Train पर सवार होते हैं, Travel करते हैं और अपने Destination पर पहुंचते हैं. Railway की ओर से एक तरफ तेजी से ट्रैक विस्तार का काम चल रहा है तो वहीं दूसरी ओर अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस Railway Station तैयार किए जा रहे हैं.

आपने बड़े-बड़े Railway Station का नाम सुना होगा, वहां गए होंगे! अजीब नामों वाले Railway स्टेशन्स के बारे में भी आपने पढ़ा होगा. लेकिन क्या आप किसी ऐसे Railway Station के बारे में जानते हैं, जिनका कोई नाम ही न हो? सुनने में अजीब लग सकता है, लेकिन देश में ऐसे 2 Railway Station हैं, जिनके नाम ही नहीं हैं. अब आप think कर रहे होंगे कि लोग आखिर टिकिट कहां की कटवाते होंगे फिर?


बिना साइन बोर्ड वाला Railway स्टेशन

झारखंड में रांची Railway Station से टोरी की ओर जाने वाली लाइन पर ट्रेन जब लोहरदगा से आगे बढ़ती है तो एक ऐसा Railway Station आता है, जिसका कोई नाम ही नहीं है. वर्ष 2011 में इस Station से ट्रेन का परिचालन शुरू हुआ था. उस दौरान Railway ने इस Station का नाम बड़कीचांपी रखना चाहा था. लेकिन कमले गांव के लोगों ने इस नाम पर आपत्ति जताते हुए विरोध करना शुरू कर दिया. कमले गांव वालों का कहना है कि इस Railway Station के लिए गांव के लोगों जमीन दी थी. यही नहीं, उन्हीं के गांव वालों ने इस Station के निर्माण के दौरान मजदूरी की थी. इसलिए इस Station का नाम कमले होना चाहिए.

तो फिर कैसे यात्रा करते हैं लोग?

बड़कीचांपी Village लोहरदगा जिले के कुडू प्रखंड की 1 पंचायत है और कमले village भी इसी पंचायत में पड़ता है. इस Railway Station से बड़कीचांपी गांव की दूरी करीब 2 km है. आसपास के करीब दर्जनभर गांवों के लोग इसी Station से ट्रेन पर सवार होते और यहां उतरते हैं. बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, Railway के दस्तावेजों में इस Station का नाम बड़कीचांपी ही है.

इस Railway Station पर ट्रेन में जो यात्री चढ़ते हैं उनके पास बड़कीचांपी का टिकट होता है, लेकिन Railway Station पर नाम का कोई साइन बोर्ड नहीं मिलता. बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, यहां के जनप्रतिनिधि और लोग भी चाहते हैं कि Railway को इसमें गंभीर पहल करनी चाहिए. नाम न होने से बड़ी समस्या नहीं है, लेकिन दो गांव के लोगों में इस बात को लेकर टकराव से बड़ी दिक्कत हो सकती है.

झारखंड और पश्चिम बंगाल में हैं बिना नाम वाले स्टेशन

आप सोच रहे होंगे कि ऐसा भला कैसा Railway स्टेशन, जिसका नाम ही नहीं! लेकिन ये सच है. दरअसल, देश में 2 ऐसे Railway Station है, जिनके नाम ही नहीं हैं. एक Station पश्चिम बंगाल में है तो दूसरा झारखंड में है. पश्चिम बंगाल के बर्धमान जिले में बांकुरा-मैसग्राम रेलखंड पर एक Station है और दूसरा Railway Station झारखंड के रांची-टोरी रेलखंड पर स्थित है.

रैनागढ़ नाम नहीं जंचा तो हटा दिया गया नाम!

पश्चिम बंगाल के बर्धमान टाउन से 35 किलोमीटर दूर बांकुरा-मैसग्राम रेल लाइन पर वर्ष 2008 में एक Railway Station बनाया गया. इस Station के बनने के बाद से ही इसके नाम को लेकर विवाद शुरू हो गया. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस Railway Station का नाम पहले रैनागढ़ रखा गया था, लेकिन रैना गांव के लोगों को यह नाम नहीं जंचा. इस नाम को लेकर गांव के लोगों ने आपत्ति जताई. रैना गांव के लोगों ने Railway बोर्ड से इस मामले की शिकायत की, जिसके बाद से ही इस Station के नामकरण का मामला अधर में ही लटका हुआ है.


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