UP Farmers Scheme: यूपी की इन 3 योजनाओं ने बदल दी किस्मत, जानें क्या आप भी ले रहे हैं फायदा

इससे प्रदेश के 185 लाख से अधिक किसानों को सीधा लाभ मिला है। सरकार का दावा है कि अब राज्य की 86% कृषि योग्य भूमि सिंचित हो चुकी है, और यूपी देश का एकमात्र राज्य बन गया है जहां कुल भूमि का 76% हिस्सा खेती में प्रयोग हो रहा है।
सरयू, अर्जुन सहायक और बाण सागर परियोजनाएं बनीं गेम चेंजर
मुख्यमंत्री योगी ने प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के अंतर्गत वर्षों से लंबित कई प्रोजेक्ट्स को गति दी।
-
सरयू नहर परियोजना, जो लगभग 40 साल से अधूरी थी, को पूरा किया गया। इससे पूर्वांचल के 9 जिलों के 30 लाख किसानों को सिंचाई की सुविधा मिली और 6,623 किमी नहरें बनाई गईं।
-
अर्जुन सहायक परियोजना, जो 2008 में शुरू हुई थी, उसे 2017 के बाद पूरा किया गया। इससे 69,000 हेक्टेयर भूमि सिंचित हुई और 1.49 लाख किसान लाभान्वित हुए।
-
बाण सागर परियोजना से 2 लाख किसानों को फायदा हुआ और 1.5 लाख हेक्टेयर भूमि सिंचाई के दायरे में आई।
976 परियोजनाएं पूरी, 5 लाख हेक्टेयर की और क्षमता बढ़ेगी
अब तक 976 छोटी-बड़ी सिंचाई परियोजनाएं पूरी की जा चुकी हैं। सरकार का अगला लक्ष्य है कि कनहर, मध्य गंगा नगर फेज-2 और रोहिन नदी बैराज जैसी परियोजनाओं से 5 लाख हेक्टेयर अतिरिक्त भूमि को सिंचाई सुविधा दी जाए। इससे 7 लाख नए किसान लाभान्वित होंगे।
बुंदेलखंड को राहत: केन-बेतवा परियोजना से मिलेगा पानी
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की महत्वाकांक्षी नदी जोड़ो योजना को भी तेजी से आगे बढ़ाया जा रहा है। केन-बेतवा लिंक परियोजना के पूरा होने पर बुंदेलखंड के झांसी, महोबा, बांदा और ललितपुर जिलों के 2.51 लाख हेक्टेयर खेतों को सिंचाई सुविधा और 21 लाख लोगों को पीने का पानी मिलेगा।
कृषि उत्पादन और किसानों की आय में इजाफा
सरकार का दावा है कि बेहतर सिंचाई व्यवस्था से फसल उत्पादन और किसानों की आय दोनों में सुधार आया है। नई योजनाओं जैसे सोलर पंप, चेक डैम, खेत तालाब, अमृत सरोवर, मॉडल तालाब और गंगा तालाब के जरिए पानी को संरक्षित कर सस्ती सिंचाई सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं।
विपक्ष का आरोप: आंकड़ों की बाजीगरी
विपक्ष सरकार के इन दावों पर सवाल उठा रहा है। उनका कहना है कि सरकार केवल आंकड़ों की बाजीगरी दिखा रही है, लेकिन आज भी हजारों किसान अपने अधिकारों के लिए सड़कों पर हैं। विपक्ष ने तंज कसते हुए कहा कि सरकार किसानों के नाम पर बातें तो करती है, लेकिन उनकी आवाज नहीं सुनती।
इस सबके बीच किसानों की उम्मीदें अब उन योजनाओं पर टिकी हैं जिनसे वाकई उनके खेतों तक पानी पहुंचे और उनकी आय में वादा किए गए मुताबिक बढ़ोतरी हो।